Holy Scriptures

Tuesday, July 7, 2020

Mahashivratri


  1. महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है
महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है
महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है





शिवरात्रि हर महीने चतुर्दशी तिथि को पड़ती है लेकिन फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी महाशिवरात्रि कहते हैं। महाशिवरात्रि के दिन शिव के भक्त कांवड़ से गंगाजल लाकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। महाशिवरात्रि का व्रत महिलाओं के लिए खास महत्व का माना गया है। मान्यता है कि अविवाहित कन्या विधिपूर्वक इस व्रत को रखती हैं तो उनकी शादी शीघ्र ही हो जाती है। वहीं विवाहित महिलाएं अपने सुखद वैवाहिक जीवन के लिए भी इस व्रत को धारण करती हैं। महाशिवरात्रि के विषय में धार्मिक मान्यता यह भी है कि इस दिन शिव और पार्वती का विवाह हुआ था।
महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है
महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है


                  पहली बार प्रकट हुए थे शिवजी


पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे। शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था। ऐसा शिवलिंग जिसका न तो आदि था और न अंत। बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो पाए। वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए। दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग के आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिला।
महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है
महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है

             
 शिव और शक्ति का हुआ था मिलन

महाशिवरात्रि को पूरी रात शिवभक्त अपने आराध्य जागरण करते हैं। शिवभक्त इस दिन शिवजी की शादी का उत्सव मनाते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ शक्ति की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिव जो वैरागी थी, वह गृहस्थ बन गए। माना जाता है कि शिवरात्रि के 15 दिन पश्चात होली का त्योहार मनाने के पीछे एक कारण यह भी है।

   
               क्या शिवलिंग की पूजा करना सही है

यह बात श्रद्धालुओ को ऐसी लगेगी जैसे गलत बोला जा रहा है लेकिन बात यह सत्य है कि केवल शिव पूजा से मोक्ष नहीं मिलता, क्योंकि शिवजी की आराधना ही मोक्ष का आधार नहीं है ।
महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है
महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है

श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार

अध्याय 3 के श्लोक 9 में कहा है कि निष्काम भाव से शास्त्र अनुकूल किये हुए धार्मिक कर्म ( यज्ञ ) लाभ दायक है।

अध्याय 3 के श्लोक 6 से 9 में एक स्थान पर आँख बंद करके बैठ कर हठ योग करने को या समाधि लगाने को बिल्कुल मना किया है । कहा है कि शास्त्र अनुकूल भक्ति साधना करना ही लाभदायक है ।

अध्याय 8 के श्लोक 16 व अध्याय 9 का श्लोक 7 में बताया है कि ब्रह्म लोक से लेकर ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी आदि के लोक और ये स्वयं भी जन्म मरण व प्रलय में है । इसलिए ये अविनाशी नहीं हैं । जब ये अविनाशी नहीं है तो इनके उपासक भी जन्म मरण में ही हैं ।

देवी देवताओं व तीनों गुणों (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) की पूजा करना तथा भूत पूजा, पितर पूजा, यह सब व्यर्थ की साधना है इन्हें करने वालों को घोर नरक में जाना पड़ेगा । अध्याय 7 का श्लोक 12 से 15 तथा 20 से 23 व अध्याय 9 के श्लोक 25 में यह प्रमाण है ।

व्रत करने से भक्ति असफल है। योग न तो बहुत अधिक खाने वाले का और बिल्कुल न खाने वाले का सिद्ध नहीं होता। अध्याय 6 के श्लोक 16 में प्रमाण है ।

जो शास्त्र अनुकूल यज्ञ हवन आदि पूर्ण गुरु के माध्यम से नहीं करते उन्हे लाभ नहीं होता। अध्याय 3 के श्लोक 12 में प्रमाण है
ब्रह्म (काल – क्षर पुरुष) सदाशिव की उत्पत्ति अविनाशी (पूर्ण ब्रह्म) परमात्मा से हुई है ।


अध्याय 3 के श्लोक 14 व 15 में प्रमाण है।
भगवान तीन हैं:- क्षर (ब्रह्म) पुरुष, अक्षर पुरुष (परब्रह्म) और परम अक्षर पुरुष (पूर्ण ब्रह्म) । अध्याय 15 के श्लोक 16,17 व 18 में प्रमाण है।
जिनमें से मोक्ष केवल पूर्ण ब्रह्म की भक्ति साधना से ही मिल सकता है । फिर हम कैसे कह सकते है कि केवल शिव जी की भक्ति साधना करने से पूर्ण लाभ मिल सकता है ।

कबीर साहेब जी ने कहा है
तीन देव (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) की जो करते भक्ति, उनकी कभी न होवे मुक्ति।

वेद कतेव झूठे न भाई, झूठे वो जो इनको समझे नाही

अर्थ: वेद पुराण झूठे नहीं है, झूठे वो व्यक्ति हैं जो इनको समझ नहीं पा रहे हैं ।




  पूर्ण मोक्ष के अभिलाषी भक्तजन कैसे भक्ति करें?


इस मास में जो भी पूजा साधना की जा रही है वह बिल्कुल भी शास्त्र अनुकूल भक्ति विधि नहीं है। शास्त्रों के अनुसार भक्ति विधि केवल तत्वदर्शी संत ही बता सकते है ।

प्रमाण है गीता जी का अध्याय 15 के श्लोक 1 से 4 व 16 , 17 में ।

आध्यत्मिक ज्ञान ही मोक्ष का सार है । यह ज्ञान वर्तमान में केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के पास है उनका ज्ञान सुनें और समझें । सभी साधन उपलब्ध है और पढ़े लिखे भक्त वेदों पुराणों और अन्य शास्त्रों से मिलान भी कर सकते हैं । यह मानव जन्म बार बार नहीं मिलता है अतः लख चौरासी से बाहर जाने के लिए मोक्ष मार्ग का चयन ध्यान पूर्वक करें ।