Holy Scriptures

Saturday, May 30, 2020

सत भक्ति

सत भक्ति  क्यों करनी चाहिए

सत भक्ति किसे कहते हैं सत भक्ति से तात्पर्य है कि हमारे सभी पवित्र सद ग्रंथों के अनुसार बताई गई भक्ति को सत भक्ति कहते हैं जो मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य है मानव जीवन इसीलिए मिला है लेकिन आज मानव इसे ना करें केवल अपना सारा समय धन उपार्जन में लगा रहा है जिसका कोई मूल्य नहीं है क्योंकि कवि साहब जी ने कहा है कि

" धनवता सोए जानिए राम नाम धन होय"
मानव जीवन में सत भक्ति से रहित हो जाता है क्योंकि सत भक्ति करने वाले की परमात्मा हमेशा मदद करता है तथा उसके रुके हुए काम को आसानी से करवा देता है क्योंकि परमात्मा उसी को ही  कहते हैं जिसके आगे कुछ भी असंभव नहीं हो अगर परमात्मा ऐसा नहीं करता है तो इससे सिद्ध होता है कि वो परमात्मा नहीं है कबीर साहब जी ने कहा है कि 

"यह सुंदर शरीर किस काम का जहां मुख नाही नाम जिव्हा तो वाहे बलि जो रटे हरि नाम" 
सत भक्ति के लिए पहली कड़ी सतगुरु होता है जिसके बारे में हमारे शास्त्र प्रमाण देते हैं कि  उस  सतगुरु के द्वारा बताई गई भक्ति करनी चाहिए तथा जो जो भक्ति साधना हमारे सभी पवित्र सत ग्रंथों में प्रमाण हो इसके लिए हमें अपने सत ग्रंथों का ज्ञान होना जरूरी है क्योंकि बिना सत ग्रंथों के हम सतगुरु की पहचान नहीं कर सकते जैसे पवित्र हिंदू धर्म में गीता अध्याय नंबर 15 श्लोक नंबर 1 से 4 में वर्णन है कि


इसी प्रकार पवित्र धर्मों में यह बताया गया है की सच्चे गुरुद्वारा बताए गए भक्ति से ही पूर्ण लाभ होता है वह किसी भी धर्म में आपको मिल जाए वहां से आप सत भक्ति प्राप्त कर मर्यादा में रहकर भक्ति करें आज पूरे विश्व में संत रामपाल जी महाराज ही सतगुरु हैं क्योंकि उन्हीं के पास हमारे सभी पवित्र धर्मों के सभी पवित्र सत ग्रंथों को का ज्ञान है उन्होंने कहा है कि 

"जीव हमारी जाति है मानव धर्म हमारा हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा"

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