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Wednesday, May 13, 2020

कन्या भ्रूण हत्या

कन्या भ्रूण हत्या किसे कहते हैं      

कन्या भ्रूण हत्या, लड़कों को प्राथमिकता देने तथा कन्या जन्म से जुड़े निम्न मूल्य के कारण जान बूझकर की गई कन्या शिशु की हत्या होती है। ये प्रथाएं उन क्षेत्रों में होती हैं जहां सांस्कृतिक मूल्य लड़के को कन्या की तुलना में अधिक महत्व देते हैं।


कन्या भ्रूण हत्या के कुछ तत्य

  • यूनीसेफ (UNICEF) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में सुनियोजित लिंग-भेद के कारण भारत की जनसंख्या से लगभग 5 करोड़ लड़कियां एवं महिलाएं गायब हैं।
  • विश्व के अधिकतर देशों में, प्रति 100 पुरुषों के पीछेWomen Foeticide लगभग 105 स्त्रियों का जन्म होता है।
  • भारत की जनसंख्या में प्रति 100 पुरुषों के पीछे 93 से कम स्त्रियां हैं।

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि भारत में अवैध रूप से अनुमानित तौर पर प्रतिदिन 2,000 अजन्मी कन्याओं का गर्भपात किया जाता है।

कन्या भ्रूण हत्या होने के कारण
  • गर्भवती महिला को उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिंग के बारे में जानने के लिए उकसाना;
  • गर्भवती महिला पर उसके परिजनों या अन्य व्यक्ति द्वारा लिंग जांचने के लिए दबाव बनाना;
  • वे डॉक्टर जो इस तकनीक का दुरूपयोग करते हैं;
  • कोई भी ऐसा व्यक्ति अपने घर या बाहर कहीं पर लिंग की जांच के लिए किसी तकनीक का प्रयोग या मशीन का प्रयोग करता है;
  • लेबोरेटरी, अस्पताल, क्लीनिक तथा कोई भी ऐसी संस्था जो सोनोग्राफी जैसी तकनीक का दुरुपयोग लिंग चयन के लिए करते हैं

इन सब का मूल कारण दहेज प्रथा है जिसके कारण उपरोक्त दी गई जानकारी द्वारा लोग लिंग का परीक्षण करते है कथा लिंग परीक्षण हो जाने के बाद अगर लड़का हुआ तो   भुर्ण  को नष्ट नहीं किया जाएगा लेकिन अगर लड़कि हो गई  तो उसे भुर्ण के अंदर ही नष्ट कर दिया जाता है सरकार के नियम बनाने के बाद भी इस प्रथा को खत्म नहीं किया जा रहा इसमें सरकार के नियमों का पालन नहीं हो पा रहा है

सरकार के द्वारा बनाए गए नियम

भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत प्रावधान : भारतीय दंड संहिता की धारा 312 कहती है: ‘जो कोई भी जानबूझकर किसी महिला का गर्भपात करता है जब तक कि कोई इसे सदिच्छा से नहीं करता है और गर्भावस्था का जारी रहना महिला के जीवन के लिए खतरनाक न हो, उसे सात साल की कैद की सजा दी जाएगी’। इसके अतिरिक्त महिला की सहमति के बिना गर्भपात (धारा 313) और गर्भपात की कोशिश के कारण महिला की मृत्यु (धारा 314) इसे एक दंडनीय अपराध बनाता है। धारा 315 के अनुसार मां के जीवन की रक्षा के प्रयास को छोड़कर अगर कोई बच्चे के जन्म से पहले ऐसा काम करता है जिससे जीवित बच्चे के जन्म को रोका जा सके या पैदा होने का बाद उसकी मृत्यु हो जाए, उसे दस साल की कैद होगी  धारा 312 से 318  गर्भपात के अपराध पर सरलता से विचार करती है जिसमें गर्भपात करना, बच्चे के जन्म को रोकना, अजन्मे बच्चे की हत्या करना (धारा 316), नवजात शिशु को त्याग देना (धारा 317), बच्चे के मृत शरीर को छुपाना या इसे चुपचाप नष्ट करना (धारा 318)। हालाँकि भ्रूण हत्या या शिशु हत्या शब्दों का विशेष तौर पर इस्तेमाल नहीं किया गया है , फिर भी ये धाराएं दोनों अपराधों को समाहित करती हैं। 


संत रामपाल जी महाराज के द्वारा कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए किए गए प्रयास

संत रामपाल जी महाराज दहेज प्रथा तथा कन्या भ्रण हत्या को जड़ से खत्म कर रहे हैं तथा

समाज में लड़कियों का सम्मान भी लड़कों के तुल्ले होगा ऐसा संत रामपाल जी महाराज अपने अनुयायियों को शिक्षा देते हैं और उन्हें दहेज प्रथा तथा कन्या भ्रूण हत्या को समाप्त करने को कहां है जो कोई भी इस का पालन नहीं करेगा वह इस संसार में दुखी होगा कथा उसका आगे का जीवन भी कष्टदायक होगा संत रामपाल जी महाराज बताते हैं की लड़का हो या लड़की दोनों को समान दृष्टि से देखना चाहिए परमात्मा के दृष्टि में दोनों समान है तो फिर हम उनको अलग अलग कैसे कर सकते हैं यह हमारी सोच है की हम उन्हें अलग अलग समझते हैं


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